Thursday, 27 June 2019

मेरी जिजीविषा



मैं नित्य तोड़ता हूं खुद को,
फिर चारो तरफ बिखर जाता हूं।

कभी शब्द बनकर..
कभी अहसास बनकर..

और बस जाना चाहता हूं..
तुममें..उनमें..सबमें..

जिससे जीवित रह सकूं
समय के अन्त तक,

और जी सकूं हर दिन
अनन्त नया जीवन,

अनादि काल तक।


copyright©2019

Wednesday, 26 June 2019

तकनीकी सहिष्णु


वे लोग
जो तख्तियों पर लिख कर बड़े हुए हैं
आज लिखते हैं
कहानियां..
कविताएं..
गजलें..

लेकिन जिन को मिला
वरदान विज्ञान का
जीवन शुरू किया
टेबलेट और कम्प्युटर से,

Tuesday, 25 June 2019

विदा मित्र


जब से मैंने जन्म लिया, स्थान बदलना तो जैसे मेरी नियति का एक हिस्सा हो गया है। शायद मेरी कुंडली का वह ग्रह, जिससे मैं परिभाषित होता हूं, सदैव चलायमान रहता है। 5 वर्ष की अवस्था से यह प्रक्रिया शुरू हुई और आज भी अपने अभीष्ट तक नहीं पहुंची है। उत्तर प्रदेश राज्य के, गोंडा जनपद में जन्म लेने के उपरांत सर्वप्रथम बहराइच, फिर फैजाबाद, फिर लखनऊ, इलाहाबाद और अब भारतीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली। कुल 22-24 साल की यात्रा का इतिहास समेटे हुए मैं आज भी चालित हो रहा हूं। हां इसमें से कोई भी यात्रा मनोरंजन आदि के लिए नहीं थी, बल्कि स्वयं को स्थापित करने के लिए एक आधार की खोज में या यूं कहूं कि कलयुगी निर्वाण की प्राप्ति के लिए थी।

Wednesday, 19 June 2019

रास्ते और जीवन


मै भटका नहीं हूं,
बस छोड़ दिए हैं पुराने रास्ते
और एक नया रास्ता गढ़ रहा हूं,
क्योंकि सड़ गये हैं सभी पुराने
दुर्गंध आती है उनसे,

Monday, 17 June 2019

छत वाला प्यार

Source : Google

तुमसे रोज मिलता हूं। छत के उसी कोने में, जहां से तुम दिखती थी मुझे। जब भी छत पर आता हूं, अनायास ही नजरें वहीं पहुंच जाती हैं। घण्टों खड़ा निहारता रहता हूं। कभी-कभी तुम प्रकट भी हो जाती हो-देवी सी, तब खुद को चिकोटी काट कर वास्तविकता में फौरन वापस लौटता हूं, क्योंकि तुम्हारी सुन्दरता स्वप्नलोक में चौगुनी हो जाती है जो मेरी आंखे सम्भाल नहीं पातीं।

Friday, 14 June 2019

मैं और लेखन



मै नहीं हूं कोई कवि

बस लिखता हूं अपना दर्द
और तकलीफें,

कभी-कभी बताता हूं
खुशियां भी,

प्रेम-प्रसंग और
तत्कालीन परिस्थितियां,

जीवन के अनुभव,
सुख-दुख और
संस्मरण सारे,

लोग कहते हैं
कि कविता है यह,

पर नहीं,
यह है सब मेरा जिया हुआ।
मेरा जीवन।

***


©Copyright reserved..

Thursday, 6 June 2019

ग्लोबल विलेज़



पगडंडियाँ खत्म हो गई हैं गांव में

उनकी जगह ले ली है
तारकोल में सनी गिट्टियों ने
कुछ ईंटों ने भी,
रास्ता हो गया है सुगम
बाजार से गांव तक,
अब तो 
गाड़ी मोटर भी दौड़ते हैं उन पर
तेज बहुत तेज,

Wednesday, 5 June 2019

एक मधुर संबंध की सालगिरह।

Source : weheartit.com

4 जून 2018 की मध्य-रात्रि थी, बारिश की हल्की-हल्की फुहारें पड़ रही थीं और मैं अपने दिल्ली के आवास की छत पर कदमताल कर रहा था। मैंने उन दिनों कुछ-कुछ कवि बनना और कविताएं लिखना शुरू किया था। कुछ शब्दों को चुराता था, यहां-वहां जोड़ता था, फिर बुद्धिमत्ता की छैनी-हथौड़ी से तुक मिलाता था और एक कविता बनाता था। बड़ी सस्ती-सी, बड़ी हल्की सी, पर मुझे बेहद पसंद, क्योंकि वह मेरी अपनी रचना होती थी। हां! मैं आज भी कोई बड़ा कवि या लेखक नहीं हूं, लेकिन एक साल का अनुभव है मेरे पास, इसलिए यह कह सकता हूं कि २०१९ के नए दीवानों से थोड़ा अच्छा जानता हूं।