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Source : weheartit.com |
4 जून 2018 की मध्य-रात्रि थी, बारिश की हल्की-हल्की फुहारें पड़ रही थीं और मैं अपने दिल्ली के आवास की छत पर कदमताल कर रहा था। मैंने उन दिनों कुछ-कुछ कवि बनना और कविताएं लिखना शुरू किया था। कुछ शब्दों को चुराता था, यहां-वहां जोड़ता था, फिर बुद्धिमत्ता की छैनी-हथौड़ी से तुक मिलाता था और एक कविता बनाता था। बड़ी सस्ती-सी, बड़ी हल्की सी, पर मुझे बेहद पसंद, क्योंकि वह मेरी अपनी रचना होती थी। हां! मैं आज भी कोई बड़ा कवि या लेखक नहीं हूं, लेकिन एक साल का अनुभव है मेरे पास, इसलिए यह कह सकता हूं कि २०१९ के नए दीवानों से थोड़ा अच्छा जानता हूं।