Thursday, 18 August 2022

वियोगी संस्मरण

 


जैसे ही आप मुखर्जीनगर की सड़क सीमा पार कर गांधी विहार में प्रवेश करें तो सड़क से नीचे उतरते ही अजीब-सी ठंड आपको अपने आगोश में जकड़ती है; अचानक से पता चलता है कि जीवन में वृक्षों का क्या और कितना महत्व होता है। उस स्थान से आधा फर्लांग चलने के बाद बाएं हाथ की तरफ़ किताबों की एक पुरानी दुकान है। वैसे तो यह सिविल सेवा परीक्षा की पुरानी और पायरेटेड किताबों से पटी होती है, लेकिन साथ ही साहित्य और दर्शन की कुछेक अच्छी किताबें भी कभी-कभी कोने में दुबकी मिल जाती हैं।

हम साहित्यप्रेमी यायावरों के जीवन में किसी किताब की दुकान का मिलना एक उत्सव की तरह होता है। ऐसा लगता है कि–