जो तख्तियों पर लिख कर बड़े हुए हैं
आज लिखते हैं
कहानियां..
कविताएं..
गजलें..
लेकिन जिन को मिला
वरदान विज्ञान का
जीवन शुरू किया
टेबलेट और कम्प्युटर से,
वे लिखते हैं
फेसबुक औ टि्वटर पर
टंबलर औ ब्लोगर पर
फैलाते हैं अफवाहें
करवाते हैं दंगे,
और कहते हैं खुद को
सहिष्णु।
जानकार हैं तकनीकी के
बता भी सकते हैं औरों को
कर सकते हैं उद्धार
लाखों अनपढ़ों और कुपढ़ों का,
पर भूल गए हैं वे असल बात
शिक्षा औ ज्ञान का मूल निहितार्थ
जो सीखा उसे आगे बढ़ाने का मर्म
बस सब रख ले रहे हैं खुद में,
यही विफलता है तकनीकि की
नहीं जानती बनाना मनुष्य
बना देती है रोबोट
जो चालित होते हैं
निर्देशक के इशारों पर,
औ जब नहीं है कोई निर्देशक
तो करते हैं गलतियां
तोड़ते हैं समाज को
और बना देना चाहते हैं
हर गांव को शहर।
- ऋषि
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1 comment:
आपके लेखन में एक साहित्यिक कवि की परिपक्वता आ चुकी हैं। बस इसमें निरन्तरता बनी रहनी चाहिए।
पढ़ के बहुत अच्छा लगा।
कॉपीराइट हैं वरना capture कर लेता।😄
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