शब्द मिलते नहीं बनाता हूं,
मैं एक कारखाना चलाता हूं।
मैं एक कारखाना चलाता हूं।
लिखता हूं कविताएं और किस्से,
फिर उन्हें आग में जलाता हूं।
प्यार भी करके मैंने देखा है,
और अब उससे खौफ खाता हूं।
जब से वो दूर हो गया मुझसे,
खुद से भी कम ही मिलने जाता हूं।
अब तो बस तार-तार होता हूं,
फिर एक नई आकृति बनाता हूं।
कभी सीखी थी शायरी मैनें,
आज लिखता हूं और गाता हूं।
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- ऋषि
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