मलिक मोहम्मद जायसी कृत महाकाव्य पद्मावत पढ़ने के बाद मेरे लिए उसके मुख्य दो ही संदेश उभर कर आते हैं-
पहला यह कि प्रेम आपको दिव्य बना देता है।
और क्योंकि मैं पुरुष हूं अतः दूसरा मुख्य मैसेज यह कि अगर कोई पद्मिनी मेरी कल्पना में है तो मैं उसे केवल रत्नशेन बनकर ही प्राप्त कर सकता हूं अलाउद्दीन बनकर नहीं।
तीसरा संदेश जो मुख्यतः मेरा अपना निष्कर्ष है कि कामना बुरी नहीं है, आनंद बुरा नहीं है। अनियंत्रित, अनैतिक तृष्णा बुरी है।