Wednesday, 19 December 2018

खो गया है गाँव मेरा..


खो गया है गाँव मेरा।

एक प्रातः जब उभरती,
गाँव की चारो दिशाएँ
बचपनों से भर निखरतीं,
डालती है अब वहीं पर हृदय-शून्य उजास फेरा।