संभव है कि आपकी मान्यताओं में दीपोत्सव मानने का करण भिन्न हो लेकिन फिर भी सांस्कृतिक विविधता के एकात्मक रूपांतरण की परिणति है कि हम इस दीपोत्सव को समान हर्षोल्लास से मनाते हैं।
यही भारतीयता है। यही हिंदू होना है। अंततः यही विश्वचेतस होना है। यह एक संस्कृति है, इसे एक धर्म का नाम देकर संकुचित ना करें।
मेरे प्रिय मित्र, जिन्हें अयोध्या और दीपावली में मेरे लिए एकजुटता नहीं समझ आ रही थी, संभव है उन्हें व्यवस्थित स्पष्टता मिल गई हो।
संपूर्ण विश्व को हमारे महान पूर्वज श्री रामचंद्र, मां सीता व श्री लक्ष्मण के अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे, महान दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!
श्री रामचन्द्र आपका सब का जीवन सदैव प्रकाशमय रखें।
~ ऋषि
चित्र : श्री रामचन्द्र जी के परम प्रिय सेवक महाबली हनुमान जी के आवास महान हनुमानगढ़ी के गर्भगृह की देहरी पर दीप प्रज्वलित करते मेरे अनुज भ्राता Devesh Dwivedi जी।
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