Saturday, 14 November 2020

हमारा शुभ दीपोत्सव

 


हम दीपावली का महान दीपोत्सव भारत के चक्रवर्ती सम्राट, इक्ष्वाकु वंश के महान अधिनायक, अयोध्या नगरी के सूर्य श्री रामचंद्र जी के, जंबूद्वीप के सर्वश्रेष्ठ विद्वान से अपनी पतनाविमुख इच्छाओं के कारण पथभ्रष्ट होकर राक्षस बने लंका के राजा रावण को मोक्ष प्रदान कर व लंका पर विजय प्राप्त कर, 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अपनी धर्मपत्नी मां सीता और अनुज श्री लक्ष्मण के साथ वापस अपने धाम अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में मनाते हैं।

संभव है कि आपकी मान्यताओं में दीपोत्सव मानने का करण भिन्न हो लेकिन फिर भी सांस्कृतिक विविधता के एकात्मक रूपांतरण की परिणति है कि हम इस दीपोत्सव को समान हर्षोल्लास से मनाते हैं।

यही भारतीयता है। यही हिंदू होना है। अंततः यही विश्वचेतस होना है। यह एक संस्कृति है, इसे एक धर्म का नाम देकर संकुचित ना करें।

मेरे प्रिय मित्र, जिन्हें अयोध्या और दीपावली में मेरे लिए एकजुटता नहीं समझ आ रही थी, संभव है उन्हें व्यवस्थित स्पष्टता मिल गई हो।

संपूर्ण विश्व को हमारे महान पूर्वज श्री रामचंद्र, मां सीता व श्री लक्ष्मण के अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे, महान दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!

श्री रामचन्द्र आपका सब का जीवन सदैव प्रकाशमय रखें।

                                 ~ ऋषि

चित्र : श्री रामचन्द्र जी के परम प्रिय सेवक महाबली हनुमान जी के आवास महान हनुमानगढ़ी के गर्भगृह की देहरी पर दीप प्रज्वलित करते मेरे अनुज भ्राता Devesh Dwivedi जी।


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