कला ही जीवन है। कला का ज्ञान, मानव के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है, यह मनुष्य की मानसिक शक्तियों का विकास करके उसे पशुत्व से उपर उठाता है। भर्तृहरि का लिखा हुआ यह प्रसिद्ध श्लोक मानव जीवन में कला के महत्व पर प्रकाश डालता है :-
साहित्य संगीत कला विहीन:, साक्षात् पशु: पुच्छ विषाण हीन:।।
जीवन में सत्य, शिव और सुंदर से साक्षात्कार कराने में इसका अमूल्य योगदान है। आत्मसंतोष एवं आनंद की अनुभूति भी इसके ज्ञानार्जन से ही होती है और इसके मंगलकारी प्रभाव से व्यक्ति के