Wednesday, 19 February 2020

एकांगी संवाद पत्र : याद-ए-फैजाबाद

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तुमसे दूर होना भी नियति का एक हिस्सा था। सालों बाद जब जीवन का जोड़-घटाव कर रहा हूं, तो पता चल रहा है कि तुमसे जो सीखा, उसका तुम्हारे बाद के जीवन में बड़ा योगदान रहा। तुम्हारे बाद के हर रिश्ते बड़े सलीके से रखे मैंने। कुछ को दिल की अलमारियों पर सजाया, कुछ को दिल के सोफों पर और कुछ उन ताखों पर, जहां तुम अपने झुमके रखा करती थी। ❤