Wednesday, 5 June 2019

एक मधुर संबंध की सालगिरह।

Source : weheartit.com

4 जून 2018 की मध्य-रात्रि थी, बारिश की हल्की-हल्की फुहारें पड़ रही थीं और मैं अपने दिल्ली के आवास की छत पर कदमताल कर रहा था। मैंने उन दिनों कुछ-कुछ कवि बनना और कविताएं लिखना शुरू किया था। कुछ शब्दों को चुराता था, यहां-वहां जोड़ता था, फिर बुद्धिमत्ता की छैनी-हथौड़ी से तुक मिलाता था और एक कविता बनाता था। बड़ी सस्ती-सी, बड़ी हल्की सी, पर मुझे बेहद पसंद, क्योंकि वह मेरी अपनी रचना होती थी। हां! मैं आज भी कोई बड़ा कवि या लेखक नहीं हूं, लेकिन एक साल का अनुभव है मेरे पास, इसलिए यह कह सकता हूं कि २०१९ के नए दीवानों से थोड़ा अच्छा जानता हूं।

चलिए मूल बात पर आते हैं। तो हुआ युं कि उन्हीं कविताओं में से एक कविता मैंने एक व्हाट्सएप ग्रुप में भेज दी, फिर अचानक एहसास हुआ कि मैंने गलती की है। वह साहित्यिक विचारधारा से बड़ी विचारधारा वाले बुद्धिजीवियों का स्थान था, इसलिए व्हाट्सएप के अपडेटेड फीचर #डिलीट_एवरीवन का उपयोग करते हुए मैंने उसे हटा दिया। लेकिन तभी अचानक व्हाट्सएप की नोटिफिकेशन रिंगटोन ने मेरा ध्यान आकर्षित किया। एक स्माइली, जिसके होंठ के बगल में छोटा-सा दिल बना होता है। 😘

कुतूहल में 500 किमी/घंटे की रफ्तार से वृद्धि हुई और मैंने अपने मोबाइल के फिंगरप्रिंट स्कैनर पर अपने अंगूठे को रखा, स्क्रीन खुली। डिलीट एवरीवन करके बाहर ही गया था इसलिए व्हाट्सएप ही खुला था। देखा तो एक मैसेज था। कविता की तारीफ के साथ एक स्माइली। कोई नाम नहीं लिखा था और नंबर भी अन्जाना था, इसलिए मैंने औपचारिकता में "थैंक-यू भैया" लिख कर भेज दिया और इंतजार करने लगा औपचारिकता वाला वेलकम लिखे जाने का। थोड़ी देर नंबर के नीचे टाइपिंग लिखा हुआ आता रहा। फिर एक मैसेज आया "भैया नहीं, बहन!"।

मैं रुका, मोबाइल को खुद से दूर रखा, सोचने लगा, क्योंकि मैं ऐसे उत्तर के लिए तैयार नहीं था। फिर मैंने स्वयं को समेटा, संयमित किया और बहुत ही शालीनता से जवाब दिया "ईश्वर ने तीन बहनें देकर जीवन संतृप्त कर दिया है, अधिक की आवश्यकता नहीं है। आप अर्धांगिनी के पद के लिए आवेदन कर सकती हैं। खाली भी है और आवश्यकता की तो क्या ही कहूं।" उस दिन तो कोई उत्तर नहीं आया, शायद यथेष्ट भी नहीं था। लेकिन फिर एक संबंध मिला, एक साहित्यिक प्रेमी, आत्मीयता से लबरेज़, जमीन से जुड़ा हुआ, मेरी ही तरह अवधी का स्फुट वक्ता और सबसे खास गोञ्णे का ही, वो भी दूर देश में। तब से हम लोग हर दिन एक नया अध्याय लिख रहे हैं-
साहित्य में भी, जीवन में भी और संबंधों में भी।


copyright©2019

No comments: