Saturday, 28 March 2020

कोरोना से डर रहे हैं।



चल रहे हैं लोग पैदल
काटने जीवन कठिन रण,
चाहते हैं घर पहुंचना
बीवी, बच्चों सबसे मिलना,
खाना-पीना खत्म है सब
है नहीं कोई सहारा,
लाख सब ढ़ाढस बंधाएं
कितना भी जीवन पिलाएं,
खुद ही खुद में मर रहे हैं
कोरोना से डर रहे हैं।