Wednesday, 5 December 2018

समझ नहीं पा रहा हूं मैं।



तुम्हें पढूँ या किताबें समझ नहीं पा रहा हूं। 
सपने बनूं या वादे समझ नहीं पा रहा हूं मैं 
अपनी खामोशियों में डूबा हुआ,
तुम्हें ताउम्र सुनना चाहता हूं,
तुम्हारी नटखटी शैतानियों को शब्द देते देते,
उन्हीं का होता जा रहा हूं मैं। 
समझ नहीं पा रहा हूं मैं। 

तुम्हारे फोन की पहली घंटी से,
शुभ रात्रि के अंतिम मैसेज तक.,
हर पल तुम्हें सुलझाता हुआ,
खुद ही उलझता जा रहा हूं मैं.,
हर रात सपनों की चादर में खुद को समेटे हुए,
तुम्हें पाने की चाहत को अपने दिल पर उकेरता जा रहा हूँ मैं,
तुममें पैबस्त होने की चाहत में उधेड़बुन किए जा रहा हूं मैं,
फिर भी कुछ तो है, जो समझ नहीं पा रहा हूं। 

तुम्हारा हंसना, रोना, झगड़ना, डांटना, फिर मान जाना,
और मुझे समझाना, 
सब मेरे लिए दुआओं से हो गए हैं,
अब तो युँ है आलम कि बस जिए जा रहा हूं मैं,
समझ नहीं पा रहा हूं॥

Copyright : ऋषि

मैं आधी नहीं हूं : ऋषि द्विवेदी



मैं आधी नहीं हूं मैं पूरी भरी हूं,
तेरी याद की बारिशों से हरी हूं,
वो हर शब्द मुझको रटा मुंहजबानी,
सुनायी कभी थी जो तूने कहानी,
तेरा युँ चहकना, कभी खिलखिलाना,
कभी मुझपे हँसना, मेरा रूठ जाना,
फिर रोना झगड़ना और नखरे दिखाना,
तुम्हारा मनाना मेरा मान जाना,
तुम्हारी मैं नदियां, तुम्हीं से बनी हूं,
तेरी याद की बारिशों से हरी हूं,
मैं आधी नहीं हूं...

वो सावन वो बारिश, तुम्हारी निशानी,
वो रस्ते वो गलियां, तुम्हारी कहानी,
वो बगिया में जाना, वो कोयल बुलाना,
वो उसका चहकना, तेरा मुस्कुराना,
वो शेरो सुख़न, वो तेरा गुनगुनाना,
तेरी शब्द सरिता कि मैं एक लड़ी हूं,
तेरी याद की बारिशों से हरी हूं,
मैं आधी नहीं हूं...

Copyright : RISHI

आशान्वित प्रेम : ऋषि द्विवेदी



बेचैन स्याह सी रातों में, हम चलते रहे और कहते रहे,
वह मेरा है मैं उसका हूं, और हर पल दुहाई देते रहे।

मिला न हमको पर कुछ भी, बस दर्द मिला दुत्कार मिली,
उन को यूं अपना कहने की, इतनी कीमत हर बार मिली। 

मैं सोच रहा हूं तब से ये, क्या करूं और कैसे रोकूं,
यह दिल पागल दीवाना है, समझाऊं या थोड़ा रो लूं।

पर प्रेम कभी मुश्किल होता है, थोड़ा दर्द भी देता है, 
एक सच्चा साथी पाने में, सच है कि वक्त तो लगता है।

तो चलिए फिर से शुरू करें, वह सफर जो उस तक जाना है,
जिसके कंधे पर सर रख कर, सारे दुख दर्द बताना है।

आशा है मेरी यह यात्रा, ईश्वर जल्दी ही पूर्ण करें,
और करें पल्लवित यह जीवन, सौभाग्य सुमंगल सुयश भरें।

COPYRIGHT : RISHI