Friday, 17 May 2019

एक कहानी



एक कहानी पढ़ रहा हूं
अधूरी लग रही है
टूटन भी है इसमें,

ऐसा लगता है
जैसे किसी ने
सच लिख दिया हो
अपना सच,

सपनें

Image Source : Internet

इक दिन देखा था उपवन में
घूम रही थी सुबह सवेरे
इक छाया मेरी अपनी सी
इक आकृति मेरे सपनों की,

सजल नयन जब पास गया तो
नहीं मिला कोई भी अपना
नही मिली वह आकृति भी
निकलकर जो झुरमुट से बासों के
खलिहानों में खत्म हो गयी,