Monday, 5 February 2024

प्रत्यावर्तन | ऋषि द्विवेदी

 


लौटने में एक सुखद आकर्षण है; आत्मीयता का एक भाव है; संभावनाओं का द्वंद्व है। कितना कुछ है जो लौटने के सौंदर्य को परिभाषित करने के लिए उदाहरण स्वरूप उँगलियों पर गिनाया जा सकता है।

आज मानसून लौट रहा है; मानसून के लौटने को मानसून का प्रत्यावर्तन कहते हैं और आज प्रयाग इस लौटे प्रेम से अपना अंतस् भिगो रहा है। कहते हैं नमी संवेदनाओं की सबसे गहरी अभिव्यक्ति है।

भूगोल वाले और गहरे से जूझते हैं इसमें। वे बताते हैं कि भूमध्य सागर से उठी नम हवाएँ आगे बढ़ पूर्व की ओर कैस्पियन सागर से उठती नम हवाओं को अपने आग़ोश में ले भारत की ओर चल निकलती हैं और हिंदूकुश से दो फाड़ हो चली आती हैं दबे पाँव।

महावर लगे पैर हौले चलते हैं इसलिए प्रत्यावर्तन की बारिश में भी लास्य है, औदार्य है, संवेदना है; धरती भीगती है और मिट्टी की महक सर्वत्र बिखर जाती है, वैसे ही जैसे गर्मी की शामों में दुआर छीटों से भिगोया जाता है। न ज़्यादा न कम; एक सम्यक् प्रेमलिप्त संबंधों की अनुपम रूपरेखा!

लौटने में पूर्णता का भाव निहित है; कृष्ण ने वृंदावन छोड़ा और ग्वाल-बालाएँ विरह की अग्नि में जल मरीं; नहीं लौटे कृष्ण न संदेशा भेजा। चक्र पूर्ण नहीं हुआ तो विरह की पीड़ा चहुँओर व्याप्त हुई; हरिऔध के माध्यम से राधा का आर्त क्रदन हुआ—
“मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्र वाले,
जाके आए न मधुबन से औ न भेजा सँदेसा,
मैं रो-रो के प्रिय विरह से बावली हो रही हूँ
जाके मेरी सब दुःख-कथा श्याम को तू सुना दे॥”

राम लौटे; चौदह वर्ष वन में बिताया, पर लौटे;
अयोध्या छूटी, परिवार छूटा, पिता छूटे, नगरी बिलख उठी; अतः राम को लौटना पड़ा। पैदल चले, समुद्र लांघा, लंका जीती; लेकिन उन्हें वापस आना ही था, चक्र को पूर्ण होना ही था। राम को पुरुषोत्तम कहाना था, सो लौटने के शृंगार को शृंगारित करना था; राम लौट आए।

जाने की पीड़ा का अवसान लौटने में निहित है; प्रत्यावर्तन ही जीवन की रंगशाला का अंतिम पाट है। हारना है तो लौटना है, विजित होना है तो लौटना है। अंततः लौटना ही है, वही अभीष्ट है; तो यह आनंद का समय है, उत्सव की घड़ी है; कोई लौटा है और उसकी दस्तक ने प्रकृति को सुरम्य बना दिया है;

यही प्रेम का सौंदर्य है; जो अनिर्वाचनीय है।


7 comments:

Anonymous said...

Nice Guru ji

Anonymous said...

Nice Guru ji mai apka sishya ayush tiwari

Ayush Tiwari said...

Nice 👍

Anonymous said...

Always inspire me with your work ... good work Rishi sir

Anonymous said...

Gajab guru me apaka chela madan mohan malaviy stu

Anonymous said...

Vijay sar

भvyaa said...

💐❤❤