Saturday, 20 January 2024

हे सनातन! युद्ध के हित आज फिर से रथ सजाओ।


हे सनातन!  युद्ध के हित आज फिर से रथ सजाओ
अब धनंजय  सज्ज है  बाजे बजाओ!  शस्त्र लाओ!

हो  गया  आराम  अब  संघर्ष  की  ज्वाला  जलेगी
नित  हमारे  प्राण  पीकर   कालिका  नर्तन  करेगी
अब सभी  हित साधने को  हस्त द्वय  जुड़ने लगे हैं
फिर  हमारी  वीरता  को  पंख  दो,  गीता  सुनाओ
हे सनातन! युद्ध के हित आज फिर से...! 

आओ केशव! आज हम  इस क्षेत्र का  संज्ञान कर लें
और  संचित  शक्ति से  हम शस्त्र का  संधान कर लें
अब नहीं  चिंतन शिविर हों, कुछ यशस्वी कर्म भी हों
मैं धरूं  गांडीव  तुम भी  चक्र  के  करतब  दिखाओ
हे सनातन! युद्ध के हित आज फिर से...!

अब  हमारी   साधना   सन्मार्ग   पर   प्रेरित   करेगी
और  पदचापों  की  आहट  विश्व  को  सूचित  करेगी
देखना है  शक्ति अरि में  कब तलक  बहती  लहू बन
आज  विजयी  विश्व  का  जयघोष  शंखों में  सुनाओ
हे सनातन! युद्ध के हित आज फिर से...!

 ऋषि द्विवेदी

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