हे कुलीनों! सुन रहे हो? अब नहीं विश्राम होगा!
अब महासंग्राम होगा!
कब तलक हम बीथियों में घूमते - सोते रहेंगे
कब तलक हम चौसरों पर हार कर रोते रहेंगे
कब सृजन की शक्तियां फिर से नया आकार लेंगी
चेतना के पृष्ठ पर कब शक्ति का संधान होगा
अब महासंग्राम होगा!
अब ग्रहों की गति हमारे मार्ग की अनुचर बनेगी
और नक्षत्रों की भाषा खड्ग पर नर्तन करेगी
सारे जप–तप–साधना को मै तिलांजलि दे रहा हूं
इस समर में शत्रु से अब युद्ध आठों-याम होगा
अब महासंग्राम होगा!
ये नवल रवि-रश्मियां हमको नया आकार देंगी
और प्रस्तर की शिलाएं वज्र–सा व्यवहार देंगी
वार्ता की भूमि पर अब संधि के साधन न होंगे
अब न होगी वंचना, अब नव–चरित उद्दाम होगा
अब महासंग्राम होगा!
2 comments:
💐💐👏👏👏👏
Sir aap ke paragraph bahut achhe lagte h
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