Sunday, 21 June 2020

पत्थरों पर लिखा प्रेम जिसके लिए..



पत्थरों  पर  लिखा  प्रेम  जिसके  लिए,
उसकी  दुनिया  हमारी  कभी  ना  हुई।

हम  मिले  प्रेम में कुछ  कदम  भी चले,
कुछ  कहानी  लिखी  कुछ  इशारे बने।
पंखुरी  से  अधर-द्वय  तनिक  चूमकर,
एक   दूजे  के   हम-तुम   सहारे   बने।

हमने   रंगों  की  गठरी   खरीदी  मगर,
उनकी  मेहंदी   हमारी  कभी  ना  हुई।

पत्थरों  पर  लिखा  प्रेम . . . .।

साथ मिल  फिर  खरीदी  गई  बालियां
वेणी  में  भी   सजे  पुष्प  मधुमास के,
पर खयालों  को कुछ  रूप  दे ना सके
जो  आशियाने  बनाए, थे  वाताश  के।

हम  सजाते  रहे  सेज सपनों  की पर,
वो  दुल्हनिया  हमारी  कभी  ना  हुई।

पत्थरों  पर  लिखा  प्रेम . . . .।

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