नयन में भरे नीर कैसे कहेंगे,
कि तुमको भुलाना कठिन है मेरी जां!
वे नजरों कि भाषा में कहते हैं सबकुछ,
मुखर शब्दों की उनको आदत नहीं है।
तुम्हें देखना चाहते हैं निरन्तर,
अगर तुमने नज़रें चुराई उन्हीं से,
तो फिर से मनाना कठिन है मेरी जां!
नयन में भरे नीर.....
तुम्हारे बिना सारे सपने अधूरे,
तुम्हारे बिना कोई जीवन नहीं हैं।
तुम्हीं मेरे जीवन के मधुमास प्यारे,
तुम्हारे बिना कोई मधुबन नहीं है।
यहां छोड़ करके चले जो गए तुम,
तो वापस बुलाना कठिन है मेरी जां!
नयन में भरे नीर ......।
ये सावन, ये बारिश, ये शामें खलेंगी,
तुम्हारे लिए दिल तड़पने लगेगा।
ये रंगीनी आंखों में चुभने लगेगी,
मेरे मन का उपवन उजड़ने लगेगा।
जो इस बार तुमने मेरा दिल उजाड़ा,
तो फिर से बसाना कठिन है मेरी जां!
नयन में भरे नीर ......।
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