जुग जुग जियो लल्ला! तुम ही वास्तविक भारत हो। हम तो जाने कब आधुनिक बनने के चक्कर में विदेशी हो गए। कथरी औ खटिया का सुख हमारे हिस्से से सरक गया। लेकिन तुमको देख भरोसा हुआ कि भारत कहीं मजबूत है और हर लड़ाई में खुद को समेटे कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है। पता नहीं तुम जानते भी हो या नहीं कि यह मास्क लगाने से क्या होता है? लेकिन तुम्हारा इसको लगाए रहना, तुम्हें इस लड़ाई का एक संजीदा सिपाही बना देता है।
तुम कौन हो, कहां से हो? मैं नहीं जानता हूं, लेकिन अपने से लगते हो। लोग कहते हैं दुनिया बहुत छोटी है, अगर यह सत्य है तो किसी मोड़ पर जरूर मिलेंगे और पूछेंगे तुमसे कि कैसे अपनी कठिन परिस्थितियों से लड़ते हुए जाहिल ना बने तुम? कैसे तुमने खुद को मनुष्य बनाए रखा? कैसे समझ पाए कि क्या सही है और क्या गलत? कैसे तुमने बड़े किताबी ज्ञानियों से खुद को बड़ा बना लिया? अपने हिस्से की दुनियावी विपदाओं से लड़ते हुए, कब तुम बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों के शिक्षकों से भी महान बन गए?
इस तस्वीर ने बहुत कुछ कह दिया है लल्ला! इतना कि भावनाएं अपने उफान पर हैं। आंखों की नमी तुम्हें अपने अंदर महसूस कर रही है। तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा! इतना सामर्थ्य मिला कि इस छोटे संघर्ष क्या, हजार गुना बड़े संघर्षों से भी हम लड़कर जीत जाएं। तुम इस महामारी की लड़ाई के सबसे आगे के सिपाही हो, अन्जाने! मेरे हिस्से के भारत को तुम पर गर्व है।
तुम भारत हो और केवल तुम ही भारत हो।
- ऋषि
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