#लॉकडाउन_डायरीज 📖
शाम के समय हल्की बारिश के साथ मंद पवन हौले से स्पर्श करके भागी और मैं भी उसके साथ साथ अपनी बालकनी में सुहावने होते मौसम का मजा लेने निकल आया। देखते ही देखते बारिश भी तेज हुई और उस छोटी पवन ने आंधी का रूप ले लिया। मैं अपने भावनात्मक संसार में उतरने ही वाला था कि मुझे अपना गांव याद आया। वे किसान याद आए जिन की फसलें खड़ी हैं या कट चुकी हैं। खेतों में पड़ी, वे व्यवस्थित मंच का इंतजार कर रही होंगी, जिससे उस किसान का पेट भरना था, जिसने अपना जीवन लगा कर उन्हें पैदा किया था।