Tuesday, 28 April 2020

बारिश और बर्फबारी..


#लॉकडाउन_डायरीज 📖

शाम के समय हल्की बारिश के साथ मंद पवन हौले से स्पर्श करके भागी और मैं भी उसके साथ साथ अपनी बालकनी में सुहावने होते मौसम का मजा लेने निकल आया। देखते ही देखते बारिश भी तेज हुई और उस छोटी पवन ने आंधी का रूप ले लिया। मैं अपने भावनात्मक संसार में उतरने ही वाला था कि मुझे अपना गांव याद आया। वे किसान याद आए जिन की फसलें खड़ी हैं या कट चुकी हैं। खेतों में पड़ी, वे व्यवस्थित मंच का इंतजार कर रही होंगी, जिससे उस किसान का पेट भरना था, जिसने अपना जीवन लगा कर उन्हें पैदा किया था।

Thursday, 23 April 2020

हम लड़ेंगे या हमें लड़ना ही होगा।



#लॉकडाउन_डायरीज 📖

आप सब आजकल की परिस्थितियों से भलीभांति अवगत हैं। आप सबको पता है कि हम इस समय एक विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं। सरकार द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं और हम अपने स्तर पर भी समाज के बचाव के लिए अपना योगदान दे रहे हैं। इस कठिन समय में कभी-कभी नकारात्मकता अपने पूरे आवेश में आकर हमें घेर लेती है और उस समय लगने लगता है कि क्या अब विश्व समाप्त हो जाएगा? क्या अब हम पहले जैसे स्वतंत्रता-पूर्वक नहीं घूम पाएंगे? क्या स्थितियां अब सदैव के लिए जटिल ही रहेंगी? मनुष्य का मन चंचल होता है। वह किसी एक बिंदु पर ज्यादा देर स्थिर नहीं रहता, अतः ऐसे विचार और मनोदशाओं का बनना स्वाभाविक है।

Tuesday, 21 April 2020

एक सिपाही ऐसा भी।


जुग जुग जियो लल्ला! तुम ही वास्तविक भारत हो। हम तो जाने कब आधुनिक बनने के चक्कर में विदेशी हो गए। कथरी औ खटिया का सुख हमारे हिस्से से सरक गया। लेकिन तुमको देख भरोसा हुआ कि भारत कहीं मजबूत है और हर लड़ाई में खुद को समेटे कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है। पता नहीं तुम जानते भी हो या नहीं कि यह मास्क लगाने से क्या होता है? लेकिन तुम्हारा इसको लगाए रहना, तुम्हें इस लड़ाई का एक संजीदा सिपाही बना देता  है।

तुम कौन हो, कहां से हो? मैं नहीं जानता हूं, लेकिन अपने से लगते हो। लोग कहते हैं दुनिया बहुत छोटी है, अगर यह सत्य है तो किसी मोड़ पर जरूर मिलेंगे और पूछेंगे तुमसे कि कैसे अपनी कठिन परिस्थितियों से लड़ते हुए जाहिल ना बने तुम? कैसे तुमने खुद को मनुष्य बनाए रखा? कैसे समझ पाए कि क्या सही है और क्या गलत? कैसे तुमने बड़े किताबी ज्ञानियों से खुद को बड़ा बना लिया? अपने हिस्से की दुनियावी विपदाओं से लड़ते हुए, कब तुम बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों के शिक्षकों से भी महान बन गए?

इस तस्वीर ने बहुत कुछ कह दिया है लल्ला! इतना कि भावनाएं अपने उफान पर हैं। आंखों की नमी तुम्हें अपने अंदर महसूस कर रही है। तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा! इतना सामर्थ्य मिला कि इस छोटे संघर्ष क्या, हजार गुना बड़े संघर्षों से भी हम लड़कर जीत जाएं। तुम इस महामारी की लड़ाई के सबसे आगे के सिपाही हो, अन्जाने! मेरे हिस्से के भारत को तुम पर गर्व है।

तुम भारत हो और केवल तुम ही भारत हो।


Copyright©2020

Saturday, 11 April 2020

तुम्हारा पत्र आया है।



यादों को भुलाने के प्रयास में अभी बहुत दिन नहीं बीता, रोज घर से बाहर खलिहान में लगे सरकारी नल पर बैठकर तुम्हारे आने-जाने के रास्ते को तकता रहता हूं। हां यह अलग बात है कि जब इसी रास्ते से तुम्हारी डोली जा रही थी तो मैं मम्मी के कमरे की खिड़की से झांक रहा था, पता नहीं क्युं हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि दहलीज लांघ कर तुम्हारी जुदाई का आलिंगन कर पाऊं।