Friday, 3 May 2019

पत्रकारिता

Source : Internet


तुम्हारी स्वतंत्रता तुम्हें मुबारक
लेकिन हमारे सच से मत खेलो।

चंद चाटुकारों की खातिर
जो करते हो अधर्म,
नाश हो जाएगा
मिट जाओगे
भरोसा तो बंद ही हो चुका है।

अभी भी समय है
सुधारो स्वयं को
अंदर की सुनो
और बाहर निकालो
उसे
जिसके लिए तुम हो
जिसके लिए है
तुम्हारी प्रासंगिकता।

बहुतों की आज भी
उम्मीद हो तुम
अपनी जानकारियों का
आधार मानते हैं तुमको
तो सोचो उनके बारे में
करो उनके लिए कुछ
और मत टूटने दो भरोसा
क्योंकि बहुत कम ही
बचा पाए हो।

फिर एक बार तुमको बधाई
तुम्हारी स्वतंत्रता को,

तुम्हारे संघर्ष को
जो किया है तुमने हमारे लिए
हमारे सच के लिए,

उन सिद्धांतों को,
जो अब बस किताबों में हैं
और रख दिया है तुमने ताक पर,

उस पवित्रता को
जिसे पीते जा रहे हो,

और फिर से निवेदन
कि संभालो खुद को
हमें जरूरत है तुम्हारी
और तुम्हारे सच की।।

***

-ऋषि

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