Friday, 17 May 2019

एक कहानी



एक कहानी पढ़ रहा हूं
अधूरी लग रही है
टूटन भी है इसमें,

ऐसा लगता है
जैसे किसी ने
सच लिख दिया हो
अपना सच,

सूखे फूल,
कंगन
चूड़ी
बालियां
सब कुछ नहीं हो सकता
झूठी कहानी में,

इसीलिए
वास्तविक लग रही है
कहानी भी
और
उसका उपजीव्य,

कई रातें गुजारी हैं
किसी ने
रोते हुए
बिलखते हुए
किसी की याद में,

और फिर
सारा दर्द उड़ेल गया है
इन सफेद पन्नों पर
स्याह कर दिया है इन्हें
और दे गया है रूप
एक कहानी का,

मानो करना चाहता हो
सचेत और आगाह
परिस्थितियों से
जो सबको जीनी पड़ती हैं,

या फिर
रहना चाहता हो
स्मृतियों में जीवित
और बनना चाहता हो
कालजयी।


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