Thursday, 4 April 2024

तुम्हारा होना | ऋषि द्विवेदी


मैं चाहता हूँ
कि तुम बनो एक विशाल वट-वृक्ष
और दूर तक फैले तुम्हारे वितानों से उतर कर
तुम्हारी लताएँ, जड़ें बनकर फैल जाएँ
मेरे अस्तित्व की धमनियों और शिराओं में

और जब कोई नवागंतुक मुझे समझने हेतु 
खंगाले मेरे चेतन-अवचेतन को
तो तुम पैठी मिलो हर रास्ते-हर मोड़ पर
मेरे होने को परिभाषित करती
बताती कि तुम्हारा होना
मेरे होने की पहली शर्त है।

- ऋषि द्विवेदी 


 

6 comments:

Anonymous said...

Thank you sir

Anonymous said...

Thank you sir

Anonymous said...

Nice sir

Anonymous said...

उत्तमम्

Sharma said...

उत्तमम्

Rishi said...

Ati uttam my teacher