उसने प्रेम में मुझसे फूल माँगेऔर मैंने किताबें दीं
मैंने फूल किताबों के बीच छुपा दिएऔर उसने पढ़ते हुए उन्हें चूम लियाउसने प्रेम में सहेजेकिताबों में मिले सूखे फूलों के टुकड़ेऔर मैंने सहेजीं
सूखे फूलों से महकती किताबोंमें उसकी स्मृतियाँ
हम प्रेमी थे हमने प्रेम कियाउसने फूलों से और मैंने किताबों से।

11 comments:
💐👏
✨❣️✨
Wow 😍🥰
Wow amazing sir ❤️
Wow nice sir
Amaging. lining
Very nice 👍👍 poem 🫶😍
Very nice kavita hai Sir
Amazing
Hii sir
Sir I am your vidyakul student(Vijay 2026) Good 👍😊. Gaurav yadav
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