रात के ०१ बजने को हैं;
२२ जनवरी की शुरुआत हो चुकी है। आज मेरे आराध्य राजा राम के अभिषेक का दिन है। आज वर्षों के संघर्ष के समापन का दिन है। वर्षों से विस्थापित मेरे राम अपने घर में पधारेंगे। वेदमंत्रों की गूंज के साथ राजा राम का राज्याभिषेक होगा; देवता पुष्प वर्षा करेंगे; देवियाँ मंगल गीत गायेंगी। अयोध्या अपने राजा राम को खिलखिला उठेगी; अनुपम दृश्य होगा। आज जब भगवान सूर्य उदय होंगे तो सूर्यवंश अपनी आभा से विश्व को पुनः प्रकाशित करने के लिए तैयार होगा, आख़िर स्वयं सूर्य का वंश है प्रकाश जिनके आदेश मात्र से नृत्य करता है।
कितना कुछ आँखों के द्रवों में भरा हुआ है। कितना कुछ कह और लिख देने के लिए मन अधीर है। कितने अद्भुत देश में जन्मा हूँ मैं, जहां भगवान भी लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करते हैं। जहां उनके घर को तोड़ने के निशान मात्र से उनके घर की पुष्टि नहीं होती बल्कि उन्हें अदालती चौखटों पर अपने होने के प्रमाण देने होते हैं; लेकिन यदि यह न होता तो राम मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों होते। यदि वही आधुनिक मर्यादा का पालन न करें तो उनके भक्त कैसे मर्यादित और नैतिक बनेंगे। यह संघर्ष मेरे राम के जीवन की एक और परीक्षा के समान था और राम ने लंका की तरह इसे भी जीत लिया।
रामस्य चरितं श्रुत्वा धारयेयुर्गुणाञ्जनाः
भविष्यति तदा ह्येतत् सर्वं राममयं जगत॥
राजा राम के स्वागत का समय है 🚩
~ ऋषि
1 comment:
Sahi baat hai Guru ji कण-कण Mein vyapt Brahm hi Satya hai Chintan ki purti mein उस Sanatan Braham ki Prapti Sambhav hai aur Bhagwan Ram ne Swayam kaha hai ek Parmatma ke bhajan ke Bina Jo Kalyan Chahta Hai vah murkh Hai
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