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सुना था मिलन सुखद होता है, पर कितना सुखद? इसका अंदाजा नहीं था, और हो भी कैसे? इस शब्द की व्याख्या स्वयं में संपूर्ण सागर की गहराई और अनंत अंतरिक्ष की परिधि समेटे हुए है। अतः आपके हिस्से में कितनी बूंदें गिरीं, यह गिरने के बाद ही पता चलता है उसके पहले सब शून्य होता है।
पिछले दिनों यह सुखद संयोग मेरे भी जीवन में आया, जब हम चार नए मित्र इकट्ठे एक रात के लिए मिले। यूं तो हमारी जान पहचान थोड़ी पुरानी थी, लेकिन उस जान पहचान की चली आ रही प्रक्रिया में बस केवल स्वार्थ निहित इच्छाओं की बात और कुछ लस्तगे होते थे। एक सामाजिक जीवन जीते हुए आप हमेशा वास्तविक नहीं रह सकते, समय और परिस्थितियों के हिसाब से आपको कभी थोड़ा दाएं, कभी थोड़ा बाएं होना पड़ता है। उस समय वास्तविकता सरक कर थोड़ा दक्खिन खड़ी हो जाती है। ऐसे में आत्मिक मिलन के लिए समय निकालना और प्रयास करने पर उपलब्ध भी हो जाना स्वयं को अनुग्रहित करने जैसा होता है।
मिलन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद का हर क्षण अह्लादित करने वाला था। ऐसा लग रहा था कि हम पूर्व जन्म के सखा-संबंधी हैं और यह मिलन अनायास ही नहीं है। भारतीय हिंदू सनातन धार्मिक परंपरा की कुछ बातें कभी-कभी संबंधों को प्रगाढ़ करने में भी अहम भूमिका निभाती हैं और उसी प्रकार यह पूर्व जन्म द्वारा संबंधों को जोड़ लेने का का योग स्वयं में अनुपम है।
शाम 7:00 बजे के आसपास शुरू हुई चर्चा सुबह 6:00 बजे उनको विदा करने के साथ समाप्त हुई और उस हर क्षण का हमने अधिकतम वॉक दोहन करने का प्रयास किया। हम बस बातें नहीं कर रहे थे, अपने संबंधों की गहराई को भी बढ़ाते जा रहे थे और उसे दीर्घकालिक वैधता की तरफ ले जाना चाहते थे। अभी यह पता नहीं कि उस वैधता वृद्धि के प्रयास में हमने कितनी सफलतापूर्वक अपनी शक्तियों का अभ्यास किया लेकिन साथ बीतते समय ने एक सुंदर आकृति हमारे समक्ष जरुर प्रस्तुत कर दी थी।
रात भर कई मुद्दों पर चर्चा हुई जीवन, प्यार, लक्ष्य आदि। अनेक व्यक्तियों का जिक्र हुआ, कई उद्धरण दिए गए, कई कवियों की कविताएं और कहानियां सुनाई गईं। मैंने अपने सारे लेख, सारी कविताएं सुना दीं। बड़े स्नेहिल वातावरण में हमारी रात बीती, पहली बार मन कर रहा था कि रात को रोक लूं और आगे ना बढ़ने दूं, लेकिन प्रकृति कब मनुष्य के हाथों की कठपुतली बनी है।
खैर, सुबह 6:00 बजे अनमने मन से चर्चाओं का दौर समाप्त हुआ। हम दो मेज़बानों ने दोनों अतिथियों को परिवहन के साधनों तक सकुशल पहुंचाया और पुनः मिलने के वादे के साथ विदा दी। कई दिनों तक हम उस मुलाकात के ख़ुमार में खोए रहे। जो मोहब्बतें हमें उस रात मिलीं उसका वर्णन तो संभव ही नहीं है। साथ ही मिला एक रिश्ता, जिसकी वैधता वृद्धि हमारे संबंधों को निभाने की प्रक्रिया की पवित्रता पर आधारित है।
खुश हूं कि ईश्वर ने इस धरती पर समय बिताने के लिए मुझे भी भेजा और साथ में भेजे कुछ संबंध, जिनके मिलन की सुंदरता से जीवन का हर क्षण अह्लादकारी समृद्धि की तरफ बढ़ता ही जाता है।
धन्यवाद आत्मीयता और प्रेम के लिए 🥰🙏
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