![]() |
Image Source : Internet |
तुमसे दूर होना भी नियति का एक हिस्सा था। सालों बाद जब जीवन का जोड़-घटाव कर रहा हूं, तो पता चल रहा है कि तुमसे जो सीखा, उसका तुम्हारे बाद के जीवन में बड़ा योगदान रहा। तुम्हारे बाद के हर रिश्ते बड़े सलीके से रखे मैंने। कुछ को दिल की अलमारियों पर सजाया, कुछ को दिल के सोफों पर और कुछ उन ताखों पर, जहां तुम अपने झुमके रखा करती थी। ❤
याद है तुमको! रामनगर वाली सड़क पर चलते हुए तुमने मुझे शिवजी का एक लॉकेट दिया था और कहा था कि अगर यह खो गया तो मैं भी खो जाऊंगी तुम्हारी जिंदगी से। हुआ भी कुछ ऐसा ही। जब मैं फैजाबाद से लौट रहा था तो वहीं हॉस्टल में वो कहीं छूट गया और तुम भी। फिर बहुत कोशिश की थी हमने। कई लड़ाइयां लड़ीं, कई समझौते भी हुए। कुछ संधियों में तो पक्षकार भी रखने पड़े। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला क्योंकि रिश्ता तो शिवजी के लॉकेट के साथ ही गुम हो गया था और वहां से हम दोनों अपने-अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए। बहुत दिनों तक तो पीछे मुड़कर ही नहीं देखा। कभी अचानक से भी मुलाकात के सहयोग नहीं बने, क्योंकि ना हीं कोई ऐसा हमारा मित्र था जो हम दोनों से जुड़ा हो और ना ही तुम मेरे दूर के रिश्ते की संबंधी।
बहुत दिनों बाद तुम्हारी याद आई और तुम्हारे बारे में जानने की उत्कंठा हुई। सोचा क्या करूं, किससे पूछूं,। फेसबुक-ट्विटरादि से पूछा और उसके जरिये जब तुम तक पहुंचा तो वहां एक नए नाम से मिली तुम, एक नए रिश्ते के साथ। कुछ तस्वीरें दिखीं तुम्हारी, इठलाती बलखाती-सी, कुछ शर्माती-सी भी। और भी बहुत कुछ दिखा तुम्हारी वॉल पर, पिता की पत्रकारिता की अनुवांशिकता, तुम्हारा अल्हड़पन, ज्ञान का प्रकाश और वे गलतियां भी जो तुम अपने शुरुआती दिनों में किया करती थी और यह भी कि अब तुम पूर्ण हो गई हो।
अच्छा लगा तुमसे मिलकर। बहुत दिनों बाद देखा तुमको, कुछ 7 साल 3 माह 12 दिन बाद। काफी बदल गई हो। मोटी भी हो गई हो, जिसके शख्त खिलाफ़ थी तुम। और हां वो फूलों का गुलदस्ता, जिसे तुमने अपने बिस्तर के सिरहने रख रखा है, अभी तक सुरक्षित रखा है तुमने? उसे देखकर ऐसा लगा जैसे मेरे नाम का एक कोना तुम्हारे हृदय की अन्तःस्थली में आज भी कहीं व्यवस्थित पड़ा है।
बहुत इकट्ठी दिखी तुम, शायद जीवन जीना सीख लिया है तुमने। कुछ लेख भी पढ़े तुम्हारे, अच्छा लिखती हो, विषय बोध अच्छा है तुम्हारा और हो क्यों ना एक पत्रकार की बेटी हो समाज की समझ और शब्द ज्ञान तो अनुवांशिकता में मिले होंगे।
देखो ना! तुमसे बात करते-करते समय का पता ही नहीं चला, चलता हूं अब। अब हम अक्सर यहीं मिला करेंगे और मैं तुम से ढेर सारी बातें किया करूंगा, तुम से बिना बताए 😊।
भविष्य के लिए शुभकामनाएं और ढेर सारा प्यार 😍❤
copyright©2020
1 comment:
شركة نقل عفش بالقصيم
Post a Comment