एक पुत्री भारत मां की
दौड़ रही है
पैरों में पंख बांध,
तोड़कर सारी जंजीरे
और बंन्धन
गरीबी और जातिवाद सरीखे,
बना रही है कीर्तिमान
नित नए,
और उठा रही है
तिरंगे को
ऊपर और ऊपर,
लोग
इण्टरनेट पर खोज रहे हैं
उसकी जाति
और वो हर दिन एक नया तमगा
महान भारत को
और महान बनाने के लिए।
***
- ऋषि
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