Monday, 1 July 2019

याचना



तुम ये जो लिखते रहते हो
हर रोज़
कविताएं,
कहानियां,
गजलें,

कहां से लाते हो इतने शब्द
और ये भावनायें सारी
क्या मिल गया है
कोई अक्षय-पात्र
या करते हो कोई साधना

बताओ मुझे भी
क्योंकि
मैं भी लिखना चाहता हूं
कुछ कहानियां
एक-आध संस्मरण
एक प्रेम भरी कविता भी,

मुझमें नहीं है और कोई हुनर
तो चाहता हूं बन जाऊं
कवि या लेखक ही
लिखूं अपने दर्द
कठिनाइयां व खुशियां
और अनुभव सारे,

फिर बांट दूं उनमें
जो आने वाले हैं कल
इसी रास्ते पर,

बोलो..
करोगे मेरी सहायता ?
क्या बनोगे मेरे बुद्ध और
ले जाओगे मुझे
मेरे निर्वाण तक ?
***


copyright©2019

*Image Source : Internet

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