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तुम ये जो लिखते रहते हो
हर रोज़
कविताएं,
कहानियां,
गजलें,
कहां से लाते हो इतने शब्द
और ये भावनायें सारी
क्या मिल गया है
कोई अक्षय-पात्र
या करते हो कोई साधना
बताओ मुझे भी
क्योंकि
मैं भी लिखना चाहता हूं
कुछ कहानियां
एक-आध संस्मरण
एक प्रेम भरी कविता भी,
मुझमें नहीं है और कोई हुनर
तो चाहता हूं बन जाऊं
कवि या लेखक ही
लिखूं अपने दर्द
कठिनाइयां व खुशियां
और अनुभव सारे,
फिर बांट दूं उनमें
जो आने वाले हैं कल
इसी रास्ते पर,
बोलो..
करोगे मेरी सहायता ?
क्या बनोगे मेरे बुद्ध और
ले जाओगे मुझे
मेरे निर्वाण तक ?
***
- ऋषि
copyright©2019
*Image Source : Internet
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