आज सुना है चलते चलते प्यार नहीं अब दुनिया में,
किसी की मीठी बातों पर एतबार नहीं अब दुनिया में।
गले लगाया इश्क किया और तन की प्यास बुझाली बस,
सपनों जैसा सजा सजीला श्रृंगार नहीं अब दुनिया में।
याद भी आई उनकी तो, बस मतलब का ही जिक्र किया,
बेमतलब मुलाकातों के आसार नहीं अब दुनिया में।
जन्मदायिनी माता हो या पोषक पिता की चर्चा हो,
खून से सींचे रिश्तों का भी सम्मान नहीं अब दुनिया में।
रात में जुगनू पूछ रहे थे कहो तो मैं भी साथ चलूं,
रिश्ते भी अब श्रद्धा के हकदार नहीं जिस दुनिया में।
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