Saturday, 11 February 2023

कमलेश्वर में कमलेश्वर की ख़ोज



निदा फ़ाज़ली जी का शेर-

"हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना"

नई कहानी आंदोलन के वास्तविक प्रणेता कहे जाने वाले कमलेश्वर पर बहुत फिट बैठता है।

यदि आप कमलेश्वर के विषय में दुष्यंत कुमार के कहे को पढ़ेंगे और उसके बाद मन्नू भंडारी के लिखे लेख ‘कितने कमलेश्वर’ पढ़ेंगे, तो आपको दोनों में कमलेश्वर की बहुत मुख्तलिफ शख्सियत मिलेगी। दुष्यंत कुमार के कमलेश्वर बहुत ही संजीदा, विनम्र और सामाजिक रुप से व्यवस्थित शख्सियत हैं, वही मन्नू भंडारी के कमलेश्वर मनमौजी, क्रूर और बेअदबी करने वाले मिलेंगे।

अपने लेख ‘कितने कमलेश्वर’ में मन्नू भंडारी जी लिखती हैं—