हिरनी जैसी आंखों वाली
फूल सदृश मुस्कानों वाली।
हिमगिरि के शिखरों पर बैठी
शीतल सघन वितानों वाली।
क्या मेरे मन के पतझड़ पर सावन बनकर छा पाओगी?
मधुरे! क्या मेरे उपवन में रास रंग बरसा पाओगी?
हिरनी जैसी आंखों वाली
फूल सदृश मुस्कानों वाली।
हिमगिरि के शिखरों पर बैठी
शीतल सघन वितानों वाली।
क्या मेरे मन के पतझड़ पर सावन बनकर छा पाओगी?
मधुरे! क्या मेरे उपवन में रास रंग बरसा पाओगी?