Monday, 16 November 2020

डूबता सूरज : एक सुंदर अनुभूति


मुझे सूर्य से संबंधित सुंदरताओं में उनका सांय-काल डूबना सर्वाधिक प्रिय है। कभी-कभी तो इस दृश्य की मनोहरता में मैं इतना मग्न हो जाता हूं कि आस-पास की प्रकृति का भान ही नहीं रहता। लालवर्णी गोले का धीरे-धीरे उतरकर पेड़ों के झुरमुट में ढलते देखना एक अद्भुत लास्यात्मक अनुभूति प्रदान करता है।

अधिकांशतः लोग सूर्य के उगने को और दिन की प्रथम वेला को आनंद या यूं कहें कि सौभाग्य से जोड़ते हैं। लेकिन मैं थोड़ा अलग सोचता हूं मुझे लगता है कि किसी भी कार्य या प्रक्रिया का ‘अंत’ या ‘पूरा होना’ ही निष्कर्ष के लिए सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है।

जब आप दूर ढल रहे सूरज को देखते हैं तो अनायास ही आपको आभास होता है कि दिन समाप्त हो रहा है। यानी कुछ जो शुरू हुआ था, वह पूरा होने को है। यदि आप इस पल को देखते हुए वैचारिक विश्लेषण के लिए स्वतंत्र भी हैं तो साथ में यह बात भी स्थापित हो रही होती है कि जो कुछ पूरा हो रहा है, वह सुखद है या कम से कम कष्टकर तो नहीं है। क्योंकि यदि वह क्षण कष्टकर होता तो आप वैचारिकी में नहीं, बल्कि उन उपजे कष्टों के बीच कहीं गुंथ चुके होते।

मैं मानता हूं कि “अंत” ही सदैव निष्कर्ष का केंद्र बिंदु होना चाहिए, न कि प्रारम्भ या कार्य प्रणाली; जैसे सूर्य और उसका डूबना।


2020

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