Monday, 16 November 2020

डूबता सूरज : एक सुंदर अनुभूति


मुझे सूर्य से संबंधित सुंदरताओं में उनका सांय-काल डूबना सर्वाधिक प्रिय है। कभी-कभी तो इस दृश्य की मनोहरता में मैं इतना मग्न हो जाता हूं कि आस-पास की प्रकृति का भान ही नहीं रहता। लालवर्णी गोले का धीरे-धीरे उतरकर पेड़ों के झुरमुट में ढलते देखना एक अद्भुत लास्यात्मक अनुभूति प्रदान करता है।

अधिकांशतः लोग सूर्य के उगने को और दिन की प्रथम वेला को आनंद या यूं कहें कि सौभाग्य से जोड़ते हैं। लेकिन मैं थोड़ा अलग सोचता हूं मुझे लगता है कि किसी भी कार्य या प्रक्रिया का ‘अंत’ या ‘पूरा होना’ ही निष्कर्ष के लिए सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है।

जब आप दूर ढल रहे सूरज को देखते हैं तो अनायास ही आपको आभास होता है कि दिन समाप्त हो रहा है। यानी कुछ जो शुरू हुआ था, वह पूरा होने को है। यदि आप इस पल को देखते हुए वैचारिक विश्लेषण के लिए स्वतंत्र भी हैं तो साथ में यह बात भी स्थापित हो रही होती है कि जो कुछ पूरा हो रहा है, वह सुखद है या कम से कम कष्टकर तो नहीं है। क्योंकि यदि वह क्षण कष्टकर होता तो आप वैचारिकी में नहीं, बल्कि उन उपजे कष्टों के बीच कहीं गुंथ चुके होते।

मैं मानता हूं कि “अंत” ही सदैव निष्कर्ष का केंद्र बिंदु होना चाहिए, न कि प्रारम्भ या कार्य प्रणाली; जैसे सूर्य और उसका डूबना।


2020

Saturday, 14 November 2020

हमारा शुभ दीपोत्सव

 


हम दीपावली का महान दीपोत्सव भारत के चक्रवर्ती सम्राट, इक्ष्वाकु वंश के महान अधिनायक, अयोध्या नगरी के सूर्य श्री रामचंद्र जी के, जंबूद्वीप के सर्वश्रेष्ठ विद्वान से अपनी पतनाविमुख इच्छाओं के कारण पथभ्रष्ट होकर राक्षस बने लंका के राजा रावण को मोक्ष प्रदान कर व लंका पर विजय प्राप्त कर, 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अपनी धर्मपत्नी मां सीता और अनुज श्री लक्ष्मण के साथ वापस अपने धाम अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में मनाते हैं।

संभव है कि आपकी मान्यताओं में दीपोत्सव मानने का करण भिन्न हो लेकिन फिर भी सांस्कृतिक विविधता के एकात्मक रूपांतरण की परिणति है कि हम इस दीपोत्सव को समान हर्षोल्लास से मनाते हैं।

यही भारतीयता है। यही हिंदू होना है। अंततः यही विश्वचेतस होना है। यह एक संस्कृति है, इसे एक धर्म का नाम देकर संकुचित ना करें।

मेरे प्रिय मित्र, जिन्हें अयोध्या और दीपावली में मेरे लिए एकजुटता नहीं समझ आ रही थी, संभव है उन्हें व्यवस्थित स्पष्टता मिल गई हो।

संपूर्ण विश्व को हमारे महान पूर्वज श्री रामचंद्र, मां सीता व श्री लक्ष्मण के अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे, महान दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!

श्री रामचन्द्र आपका सब का जीवन सदैव प्रकाशमय रखें।

                                 ~ ऋषि

चित्र : श्री रामचन्द्र जी के परम प्रिय सेवक महाबली हनुमान जी के आवास महान हनुमानगढ़ी के गर्भगृह की देहरी पर दीप प्रज्वलित करते मेरे अनुज भ्राता Devesh Dwivedi जी।


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Friday, 13 November 2020

अयोध्या में दीपावली

 


वे जिन्हें लगता था कि युगों पुरानी हमारी पहचान हमसे छीन लेंगे।

वे जो सोचते थे कि अयोध्या को रण-क्षेत्र बनाकर, हमारे राम का घर एक अखाड़ा बना देंगे।

वे नहीं जानते थे कि हमारे राम के घर जलने वाले दीपक एक दिन विश्व कीर्तिमान बनाएंगे।

वे जिन्हें हमारी आस्था के साथ खेलना अपना सबसे प्रिय कार्य लगता था, आज वे भी राममय हो जाना चाहते हैं।

वे सभी आज लॉस एंजिल्स, बर्लिन, एमस्टरडम, न्यू साउथ वेल्स और लंदन की गलियों से हमारे महान पूर्वज और चक्रवर्ती सम्राट भगवान राम के अजेय नगरी की तस्वीरें साझा कर रहे हैं।

वे आज अपने आसपास के लोगों से मेरे राम की महान नगरी अयोध्या का कीर्तिमान बता अपने रुतबे में थोड़ी बढ़त चाहते हैं। 

बहुत साल लगे उन्हें अयोध्या नगरी के नाम का अर्थ समझने में; अब वे जान गए हैं कि अयोध्या को नहीं जीता जा सकता, वह युगों से अजेय है और समय के अंत तक महानतम रहने वाली है। यही महान भारत की पहचान है।

हम जब भी यह समझने लगते हैं कि मेरे सत्य और आपके सत्य के बीच में भी एक सत्य है और उस सत्य का भी सम्मान करने लगते हैं, तब हम भारतीय होने लगते हैं। भारत किसी देश का रेखांकन मात्र नहीं है, बल्कि एक संस्कृति है, एक विचारधारा है। यह राम की भूमि है, जहां जीवन दर्शन आकर लेता है और विमर्श से पैदा हुई विविधता को एकता में पिरो जीवन जीने की एक संहिता तैयार करता है। हम इसे हिंदू होना कहते हैं।


~ ऋषि

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