Saturday, 28 March 2020

कोरोना से डर रहे हैं।



चल रहे हैं लोग पैदल
काटने जीवन कठिन रण,
चाहते हैं घर पहुंचना
बीवी, बच्चों सबसे मिलना,
खाना-पीना खत्म है सब
है नहीं कोई सहारा,
लाख सब ढ़ाढस बंधाएं
कितना भी जीवन पिलाएं,
खुद ही खुद में मर रहे हैं
कोरोना से डर रहे हैं।

Thursday, 5 March 2020

संबंधों के साथ एकाकार होती रात्रि

Image Source : istockphoto.com

सुना था मिलन सुखद होता है, पर कितना सुखद? इसका अंदाजा नहीं था, और हो भी कैसे? इस शब्द की व्याख्या स्वयं में संपूर्ण सागर की गहराई और अनंत अंतरिक्ष की परिधि समेटे हुए है। अतः आपके हिस्से में कितनी बूंदें गिरीं, यह गिरने के बाद ही पता चलता है उसके पहले सब शून्य होता है।