मैं चाहता हूँकि तुम बनो एक विशाल वट-वृक्षऔर दूर तक फैले तुम्हारे वितानों से उतर करतुम्हारी लताएँ, जड़ें बनकर फैल जाएँमेरे अस्तित्व की धमनियों और शिराओं मेंऔर जब कोई नवागंतुक मुझे समझने हेतुखंगाले मेरे चेतन-अवचेतन कोतो तुम पैठी मिलो हर रास्ते-हर मोड़ परमेरे होने को परिभाषित करतीबताती कि तुम्हारा होनामेरे होने की पहली शर्त है।