Friday, 22 May 2020

आयरन मैन का महापरिनिर्वाण और कॉरोना वायरस।



अभी कल कि ही तो बात है जब आयरन मैन थैनॉस से पृथ्वी को बचाते हुए शहीद हो गया। उसके बाद एक साथ कई ऐसी घटनाएं हुई जो संभव ही नहीं थी। कैप्टन अमेरिका जो कभी बुरा ही नहीं हो सकता था अचानक से बूढ़ा हो गया हो गया और थॉर को एस्गार्ड के समाप्ति ने डिप्रेशन और एंजाइटी से घेर लिया।

आयरन मैन का महापरिनिर्वाण कोई इतनी छोटी खबर नहीं जो ब्रह्मांड से छुपाई जा सके, ऐसे में कॉरोना का कहर एक चिंता का विषय बन जाता है कि कहीं यह किसी अन्य ग्रह के लोगों द्वारा फैलाया गया मायाजाल तो नहीं? लोकी पहले ही मर चुका है, अतः उस पर शक करना ठीक नहीं।

कहीं ऐसा तो नहीं कि मणियों को ला कर वापस रखते समय कोई श्रृंखला टूट गई हो और जीवन तरंगों में परिवर्तन हो गया हो, जिसका प्रभाव दुनिया को झेलना पड़ रहा हो।

आज हमें फिर से सभी अवेंजर्स की जरूरत है लेकिन बिना आयरन मैन के उस संस्था का कोई अस्तित्व नहीं। हमें अंदाजा भी नहीं था कि आयरन मैन के महापरिनिर्वाण के तुरंत बाद ही पृथ्वी को इतनी कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा।

अब हमारे उम्मीद की किरण केवल वह मकड़-मानव पीटर है, जिस पर टोनी स्टार्क ने उम्मीद जताई थी। उम्मीद है वह अपना दायित्व बखूबी निभाएगा और दुनिया को आयरन मैन की तरह सुरक्षित रखेगा। बचे हुए अवेंजर्स से उम्मीद की जाती है कि वे इस वैश्विक महामारी के समय मकड़-मानव की पूरी सहायता करेंगे और साथ मिलकर इस दुनिया को पुनः सुरक्षित करेंगे।

#We_Miss_You_Iron_Man


कॉपीराइट©२०२०

Wednesday, 20 May 2020

एक अधूरी कहानी का अंत


अभी भी जब किसी कारणवश छत पर आता हूं तो अनायास ही नजरें तुम्हारे छत और छज्जे की ओर चली जाती हैं। प्रेम से उपजी स्मृतियां अपना रास्ता कभी नहीं भूलतीं। बहुत रोकने के बाद भी आंखों का भाग कर तुम्हारे हिस्से की ओर चले जाना कभी-कभी शर्मिंदगी का सबब भी बन जाता है।

जिस तरह कोई फल खाते हुए पहले मीठा, फिर कसैला और अंत में स्वाद-हीन हो सूख जाता है, उसी प्रकार विलगन की वेदना भी पहले अत्यंत पीड़ादायक, फिर कसैली और अंत में स्वाद-हीन हो सूख जाती है। प्रतीत हो रहा है जैसे हमारे विलगन की वेदना भी स्वाद-हीन हो सूखने की तरफ अग्रसर है। अब तुम्हारे छज्जे पर कोई अपनत्व नहीं दिखता। ऐसा लगता है जैसे सूरज की तीक्ष्ण किरणों ने तुम्हारे छज्जे पर रखे, मेरे इश्क की स्मृति से पैदा हुए अपनत्व को वाष्पित कर कहीं और, किसी अन्य की भूमि पर बरसा दिया है।

Sunday, 3 May 2020

मलिक मोहम्मद जायसी कृत महाकाव्य पद्मावत और मैं


मलिक मोहम्मद जायसी कृत महाकाव्य पद्मावत पढ़ने के बाद मेरे लिए उसके मुख्य दो ही संदेश उभर कर आते हैं-

पहला यह कि प्रेम आपको दिव्य बना देता है।

और क्योंकि मैं पुरुष हूं अतः दूसरा मुख्य मैसेज यह कि अगर कोई पद्मिनी मेरी कल्पना में है तो मैं उसे केवल रत्नशेन बनकर ही प्राप्त कर सकता हूं अलाउद्दीन बनकर नहीं।

तीसरा संदेश जो मुख्यतः मेरा अपना निष्कर्ष है कि कामना बुरी नहीं है, आनंद बुरा नहीं है। अनियंत्रित, अनैतिक तृष्णा बुरी है।