Tuesday, 28 January 2020

खुदा ढूंढता हूं।



गमगीन  महफिलों में कहकहा ढूंढता हूँ,
खानाबदोश  बन  कर  जहाँ  ढूंढता  हूँ।

जहां   खत्म   कर   राब्ता  तुम  गए  थे,
वहां  छोड़  कर   हर  जगह   ढूंढता  हूं।

हो  पैबस्त  तुम  मेरी सांसों में फिर भी,
सूनी गलियों में तुमको बारहा ढूंढता हूं।

वो  एक  डोर  जिससे  हम-तुम बंधे थे,
उसी  डोर  का  दूजा  सिरा  ढूंढता  हूं।

तुम्हें  पा  सकूं  ये  मुमकिन   नहीं  पर,
तुम्ही  को  मैं  अब  हर  जगह ढूंढता हूं।

ये  बेचैनी है  या  जिद नहीं  जानता हूं,
तुम्हें   ढूंढता  हूं  कि  खुदा   ढूंढता  हूं।



copyright©2019