Wednesday, 15 February 2017

प्रेम और समाज

बहुत दिनों से कुछ लिखने की सोच रहा था लेकिन समयाभाव के कारण ऊगलियों को कलम तक पहुंचने का सौभाग्य नहीं प्राप्त होता था, आज व्यस्तताओं के संगम से कुछ पल चुरा पाया हूँ, मन में उद्वेग है अशान्ति भी है, कुछ अनिश्चितताएँ मानव जीवन में हमेशा रहती है वे कभी तो मनुष्य को सबल साहसी धैर्यवान बनाती है तो कभी कुंठित कर देती हैं और इनमें वहाँ के परिवेश का बड़ा योगदान होता है जीवन में दूसरा पक्ष प्रेम का है जो शाश्वत है, अविनाशी है | प्रेम जीवन में रंग भरता है उल्लास करता है और यदि प्रेम किसी ऐसे से हो जिसे देखने पर दिल रूक सा जाए, साँसे अपना कार्य भूल जाएँ व विश्व उसके बिना एकाकी सा लगने लगे तो वह सफल भी बना सकता है और सफल ही नहीं बल्कि सर्वोच्च बना सकता है परन्तु कलयुग के नायक-नायिकाओं के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती प्रेम को पहचानने में है, इस अर्थ अर्जन के प्रयासों ने हर रिश्ते को तार-तार कर दिया है | आजकल तो प्रेम का मोलभाव भी पैसे से होने लगा है | समाज असमानताओं, विभेदों, अनाचारों, व्यभिचारों की तरफ अग्रसर है, जिसके परिणाम सदैव भयावह ही होते हैं और इसका एक ही उपचार है "प्रेम" | प्रेम अनन्त है और अपने में सब कुछ समाहित किए हुए है- वात्सल्य, ममता,करूणा,दर्द,वासना | इन्हीं तत्वों के कम या अधिक होने से समाज में अराजकता फैलती है, निराशा और डर अपना स्थान निर्मित कर लेते हैं |

अतः आवश्यकता है सत्य की, सच्चे प्यार की, ममता की और सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों की | परन्तु इस तेजी से बदलती परिस्थितियों में प्रेम भी इसके अनुरुप हो गया है, माँ बच्चे के लिए समय नहीं निकाल पाती, प्रेमी और प्रेमिका एक दूसरे को मनोरंजन का साधन समझने लगे हैं | प्रेम के इस बाजारीकरण के परिणाम स्पष्ट हैं, समाज तरक्की तो कर रहा है पर परिवार खो रहा है | हमें इस परिवर्तन को समझते हुए थोड़ा-सा और तेज होने की जरुरत है और उस अधिक तेजी में से थोड़ा समय अपनों के लिए निकालने की जरुरत है, जीवन सुलभ हो जाएगा | प्रयास कीजिए, प्रयास करने से बहुत कुछ सम्भव है | माँ की गोदी में लिपट कर सोने की कोशिश कीजिए यकीन मानिये तरक्की आपका इंतज़ार करेगी | बस जरुरत है एक शुरूआत की और पुनः मनुष्य हो जाने की |

"जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है.,

जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है.,

कतरा कतरा सागर तक तो जाती है हर उम्र मगर.,

बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है।"


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